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30 days festival - ritual competition 15 -Nov-2022 (23) चप चार कूट, मिजोरम राज्य का लोकप्रिय त्यौहा



शीर्षक = चप चार कूट, मिजोरम राज्य का लोकप्रिय त्यौहार




मिज़ोरम भारत का एक उत्तर पूर्वी राज्य है। पूर्व और दक्षिण में म्यांमार और पश्चिम में बंग्लादेश के बीच स्थित होने के कारण भारत के पूर्वोत्तर कोने में मिज़ोरम सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण राज्य हैं। मिज़ोरम में प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा पड़ा है तथा इस क्षेत्र में प्रकृति की विभि्न छटाएं देखने को मिलती हैं। यह क्षेत्र विभिन्न प्रजातियों के प्राणिमयों तथा वनस्पतियों से संपन्न हैं।

मिज़ो’ शब्द की उत्प‍त्ति के बारे में ठीक से ज्ञात नहीं है। मिज़ोरम शब्द का स्थानीय मिज़ो भाषा में अर्थ है, पर्वतनिवासीयों की भूमि। १९वीं शताब्दी में यहां ब्रिटिश मिशनरियों का प्रभाव फैल गया और इस समय तो अधिकांश मिज़ो लोग ईसाई धर्म को ही मानते हैं। मिज़ो भाषा की अपनी कोई लिपि नहीं है। मिशनरियों ने मिज़ो भाषा और औपचारिक शिक्षा के लिए रोमन लिपि को अपनाया। मिज़ोरम में शिक्षा की दर तेजी से बढ़ी हैं। वर्तमान में यह ८८.८ प्रतिशत है, जोकि पूरे देश में केरल के बाद दूसरे स्थान पर है। मिज़ोरम शिक्षा के क्षेत्र में सबसे पहले स्थान पर आने के लिए बड़े प्रयास कर रहा हैं।


आइये जानते है, मिजोरम में मनाये जाने वाले एक लोकप्रिय त्यौहार चप चार कूट  के बारे में और उससे जुड़े रीति रिवाज़ के बारे में


जब फसल कटने वाली होती है तब यह यह त्योहार वसंत के मौके पर 6 मार्च को मनाया जाता है। यह एक बहुत ही प्रसिद्ध मिजोरम का त्यौहार है। मिजो लोग इस त्यौहार को बड़े ही धूम-धाम से मनाते है। 


भारत के उत्तर पूर्व में मौजूद मिजोरम राज्य अपने सुहावने मौसम के लिए दुनियाभर में मशहूर है। खूबसूरत सा दिखने वाले इस राज्य को पहाड़ों की धरती भी कहा जाता है। मिजोरम को पहाड़ों की धरती इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका ज्यादातर हिस्सा पहाड़ियों से घिरा हुआ है।


मिजोरम राज्य अपने संस्कृति और परंपराओं के लिए भी मशहूर है। मिजोरम में रहने वाली जनजातियाँ पुरे साल रंग-बिरंगे और सांस्कृतिक त्यौहार मनाते रहते है। यहाँ पर रहने वाली जनजातियों का अपना अलग ही त्योहार है। मिजोरम की कुछ खास त्योहारों के बारे में बात करे तो उसमें से कुछ है- चपचार कूट, मीम कूट और पालकूट जैसे कुछ अहम् त्योहार है। 


इन सभी त्योहारों में सबसे ज्यादा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला त्यौहार चपचार कूट है। उतर पूर्व भारत का राज्य मिजोरम इस त्यौहार में मार्च महीने में पूरी तरह से त्योहार के रंग में डूब जाता है। जहाँ उत्तर भारत में होली की धुन रहती है तो वहीं मिजोरम में चपचार कूट त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। 


मिजोरम की संस्कृति के खास पहचान के रूप में मनाया जाने वाला त्योहार चपचार कूट क्या है और इसे किस वजह से मनाया जाता हूं। आज के इस आर्टिकल में हम चपचार कूट के बारे में विस्तार से जानेंगे- 


◆ 6 मार्च से शुरू होने वाला इस त्योहार को एक फसल के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। साल में एक बार मनाया जाने वाला यह त्योहार वसंत के मौके पर यानि ( जब फसल कटने वाली होती है ) तब मनाया जाता है। 


◆ जब इस त्योहार को मनाने के लिए हजारों मिजो लोग निकलते है तब पूरा मिजोरम ढोल और घंटो की आवाज से गूंज उठता है। 


◆ राज्य के हर कोने से कई जनजातियों के लोग इस मौके पर त्यौहार मनाने के लिए इकठ्ठा होते है और कूट रोरेनाम के एक खास तरह के सांस्कृतिक जलसे में शामिल होते है। पारंपरिक मिजो परिधान जिसे यहाँ की भाषा में पुअँचि कहा जाता है। इसमें सजी हजारों नवयुवतियाँ बाँस की धुन पर नृत्य करती है। 


◆ इस तरह की पारंपरिक नृत्य को यहाँ की भाषा में चेराव नृत्य कहा जाता है। इस नृत्य में मीजो पुरुष जमीन पर बैठे रहते है और बाँस को जमीन पर पीटते है जिसके धुन पर युवतियां नृत्य करती है। 


◆ इस मौके पर लोग आमतौर पर बाँस के जंगलों को काटकर झूम या मौसमी खेती करते है। जबकि किसान कटे हुए बाँस के ढेरों का धुप में सूखने का इंतजार करते है। जिसके बाद उन्हें जला दिया जाता है। इस पुरे प्रक्रम को ही चपचार कूट त्योहार के नाम से जाना जाता है। 


स्थानीय लोगों के अनुसार, चपचार कूट त्योहार मिजोरम में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है। इसके अलावा यह त्योहार यहाँ के लोगो का पसंदीदा त्यौहार भी है। इस त्यौहार में अलग-अलग जनजातियों के लोग अपने बनाएँ हुए उत्पादों को बेचते है। इस त्यौहार में मिजोरम के सांस्कृतिक कला और पंडाल आये हुए पर्यटकों का मन मोह लेती है। 


मिजोरम की राजधानी आइजोल है। आइजोल पूरी तरह से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहाँ के लोग काफी विकसित है। यहाँ की एक खास बात यह है कि 90 फीसदी दुकाने या व्यापार महिलाओं द्वारा चलाया जाता है। 


मिजोरम की कुछ और खास त्योहारों की बात करे तो उसमें है मिमकुट त्यौहार। मिमकुट त्यौहार मक्के की खेती के बाद जुलाई या अगस्त महीने में मनाया जाता है। इस त्यौहार को भी मीजो लोग काफी उत्साह से मनाते है और नाचते गाते भी है। 


मिजोरम की एक और खास त्यौहार है पालकूट त्योहार। इस त्योहार को दिसंबर के आखरी सप्ताह में मनाया जाता है। पालकूट त्योहार की मान्यता ये है कि नई फसलों के घर आने तथा साल भर ईश्वर की कृपा से बेहतर जीवन की प्रार्थना में ये त्योहार मनाया जाता है। इसके अलावा ये त्योहार भूसे की कटाई से भी जुड़ी हुई है।


मैं आशा करता हूँ की आप सभी चपचार कूट त्यौहार के बारे में पूरी तरह से जान चुके है। अगर आप एक पर्यटक है यानि आपको घूमने में आनंद आता है तो आप मार्च महीने के पहले सप्ताह में यहाँ आकर चपचार कूट त्योहार का आनंद ले सकते है। धन्यवाद ।



अन्य राज्य के त्यौहार और रीति रिवाज़ के बारे में जानने के लिए जुड़े रहे मेरे साथ 


30 days festival / रिचुअल कम्पटीशन हेतु 

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4 Comments

Supriya Pathak

09-Dec-2022 09:27 PM

Bahut khoob 🙏🌺

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Very nice

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Wahh बहुत ही खूबसूरत 🙏🌸🌺

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